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मयूरासन(Mayurasan ) peacock pose

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                                      मयूरासन(Mayurasan ) peacock pose  मयूरासन ये संस्कृत का शब्द है । हिंदी में मोर कहते है । मयूरासन एक कठिन आसन  है । लेकीन कुछ समय अभ्यास के बाद सुलभ हो जाता है। हमारे योग ऋषियोंने विविध प्रकार के पशु -पक्षीयो के नाम पर आसनो के नाम दिए है। वे सब आसन के नाम संस्कृत भाषा के है । उसमे से एक है मयूर यानि मोर पक्षी जैसा शरीर का आकार बनाना होता है । मोर छोटे कीटक और साप को भी खाकर हजम करलेता है। मयूरासन विषैले तत्व को शरीर से बाहर निकालने में मदत करता है । मयूरासन करने से पाचन तंत्र मजबूत बनता है । और पेट के सबंधित सारे विकार ठीक हो जाते है । मयूरासन मधुमेह के रोगी के लिए भी लाभदायक है । मयूरासन कैसे करे ? मयूरासन करनेकी विधि  : 1 ) सर्वप्रथम चटाई या yoga mat बिछाकर घुटनों के बल बैठ जाये ।और घुटनोंके के बल बैठ जाये उसे वज्रासन कहते है । 2 ) अपने हाथोंको को धरती पर रखे हाथ की उँगली की दिशा पैर की तरफ रखना है । 3 ) अब श्वास भरते हुए दोनों पैर पीछे की और लेजाए दोनों हाथ की कोनी नाभिके दोनों बाजु में लगाये । 4 ) सर को धरती पर लगाए और दो

मंडूकासन (Mandukasan)

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                             मंडूकासन  मंडूकासन में शरीर कर आकर मेंढक जैसा होता है इसलिए इस आसन को मंडूकासन कहते है | हिंदीमें मंडूक को  मेंढक  कहते है |  मंडूकासन मधुमेह को   नियंत्रित  करनेमें बहुत ही महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है |  मंडूकासन   पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है |     मंडूकासन कैसे करे ? मंडूकासन की विधि   :- Yoga mat या दरी बिछाकर वज्रासन में बैठ जाये |  वज्रासन में बैठ जाएं फिर दोनों हाथों की मुठ्ठी बंद कर लें। मुठ्ठी बंद करते समय अंगूठे को अंगुलियों से अंदर दबाइए। फिर दोनों मुठ्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर श्वास बाहर निकालते हुए  आगे झुके  छाती  घुटनो के साथ लगाये सामने देखे और श्वास को यथा शक्ति रोके अब धीरे धीरे श्वास  भरते हुए गर्दन को उप्पर उठाये इस प्रकार इस आसन को 2 से 3 बार दोहराये  मंडूकासन के लाभ :- 1) मधुमेह को नियंत्रित करता है |  2)  कब्ज को ठीक करता है |  3) जठर अग्नि को प्रदिप्त करता है |  4) अपचन को ठीक करता है,और भूख  बढ़ाता है |  मंडूकासन की सावधानी :- कमरदर्द , घुटनों का दर्द होने पर मंडूकासन किसी योग चिकित्सक के देख- रेख में करे

भ्रामरी प्राणायाम (Bramari pranayam)

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  भ्रामरी प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम एक रहस्यम्य और अद्भुत प्राणायाम है। भ्रामरी की उत्पति भ्रमर से हुई है। भ्रमर यानी भौरा इस प्राणायाम में भौरे की तरह गुंजन के समान ध्वनि उत्पन्न की जाती है। इस प्राणायाम से ध्वनि के स्पंदन से मन और मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ओर इस ध्वनि का प्रभाव पिनियल ग्रंथि पर पडता है। ॐ  के गुंजन से जो लाभ प्राप्त होते है वह भ्रामरी प्राणायाम से होते है। इसलिए इस प्राणायाम को महत्व पूर्ण प्राणायाम में शामिल किया गया है। भ्रामरी  प्राणायाम कैसे करे ? भ्रामरी प्राणायाम की विधि :- पद्मासन में या सुखासन में बैठ जाए मेरुदंड सीधा और सिर सीधा रखें  आंखे बंद करे लंबा और गहरा श्वास ले  अपनी दोनों हाथ की तर्जनी ऊंगली से दोनों कान के छिद्र इस प्रकार बंद करे की बाहर की कोई आवाज सुनाई न दे ओर मुख़ बंद करके  भौरे की तरह गुंजन करते हुए नाक से श्वास को धीरे धीरे बाहर छोड़े इस प्रकार भ्रामरी प्राणायाम 7 या 8 बारे दोहराए। भ्रामरी प्राणायाम के फायदे :-   1) स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।   2) मानसिक तनाव को दूर करके मन को शांति देता है।  3) सिरदर्द को ठीक

ऊष्ट्रासन ( Ushtrasan)

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                                                  ऊष्ट्रासन  ऊष्ट्रासन में शरीर का आकार ऊंट के जैसे होता है ।इसलिए इस आसन को ऊष्ट्रासन कहते है  ।ऊष्ट्रशब्द संस्कृत है और हिंदी में  ऊंट कहते है। इस आसन को करने से मेरुदंड को शक्ति मिलती है और मेरुदंड को लचीला बनाने में महत्व पूर्ण आसन है।पेट, कंधा , गर्दन, जंघा और घुटनोंमें दबाव पड़ता है ।  ऊष्ट्रासन कैसे करे ?  <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-5142264719200248"      crossorigin="anonymous"></script> ऊष्ट्रासन की विधि :- सर्वप्रथम Yoga Mat या दरी बिछाकर वज्रासन में बैठ जाये  1 ) श्वास भरते हुये घुटनों के बल बैठे घुटनों के बिच में आधा फ़ीट का अंतर ले और दोनों हाथ कमर पर रखते हुये    पीछे झुके और गर्दन को भी पिछे झुकाये  2) अब दोनों हाथ कमर से हटाकर कमरको झटका दिए बिना पैरों की एड़ी को पकड़ने की कोशिश करे । 3) धीरे धीरे श्वास भीतर भरके यथाशक्ति  कुछ सेकेंड रोके और धीरे धीरे श्वास छोड़ते हुये दोनों हाथ कमर पे रखकर शरीर का संतुलन बनाते ह

योगमुद्रासन

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                                       योगमुद्रासन  योगमुद्रासन योग को साधने के लिए एक प्रभावशाली आसन है | योग में योगमुद्रासन का महत्व पूर्ण आसनो में शामिल किया गया  है | योगमुद्रासन शारीरिक एवं मानसिक रोगोंमें विशेष लाभदायक है | योगमुद्रासन करने से अपचन, मंदाग्नि, कब्ज से मुक्ति मिलती है  छोटी आंत, बड़ी आंत पर दबाव पड़ता है |  किडनी, लीवर , एवं जठर अग्नि को प्रदीप्त करने में महत्त्व पूर्ण भुमका निभाता है |  योगमुद्रासन कैसे करे ? योगमुद्रासन की विधि :- सर्वप्रथम आसन पे बैठ जाए पद्मासन लगाए और दोनों हाथ मेरुदंड के पास ले जाकर दोनों हाथ की  उँगलियाँ आपसमें  फसाकर lock करले और श्वास को भरते हुए धीरे धीरे हाथ ऊपर करले और श्वास छोड़ते हुए ठोड़ी या सर को धरती पे लगाए  10 से 12 सेकंड रोके ओर सर को ऊपर उठाते हुए  श्वास धीरे धीरे श्वास भरे इस प्रकार इस आसन को 2 या 3 बार दोहराये    योगमुद्रासन के फायदे / लाभ  1) योगमुद्रासन से अपचन, मंदाग्नि , कब्ज़ , छोटी आंत और बड़ी आंत पे दबाव पड़ने से कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है |  2) किड़नी, लिवर , को कार्यशील बनता है |  3 ) जठर अग्नि को

जानुशिरासन (janushirasan)

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                                            जानुशिरासन  जानुशिरासन एक उत्कर्ष एवं सम्पूर्ण शरीर के अंगो को शक्ति का संचार करनेवाला है | जानुशिरासन मानसिक तनाव को दूर करनेमें सहायक है |  जानू का अर्थ है घुटना और शिर यानि सर घुटने को शिर लगानेको जानुशिरासन कहते है |    जानुशिरासन कैसे करे ? जानुशिरासन की विधि :- सर्वप्रथम Yoga Mat या आसन को बिछाकर बैठ जाए | 1)अब दोनों पैरोको आगे की और सीधे करले बाया पैर घुटनेमें से मोडकर एड़ी मलद्वार के पास लगाए और पैर का पंजा दाहिने पैर के जंघा से सटाहुआ रखें | अब दोनों हाथोंको ऊपर उठाते हुए धीरे धीरे श्वास भरे और आगे झुकते हुए धीरे धीरे श्वांस को छोड़ते हुए पैर का पंजा पकडे और सर घुटने को लगाए | अब इस स्तिथि में श्वास को कुछ सेकंड रोके और धीरे धीरे श्वास भरते हुए दोनों हाथ उप्पर उठाकर निचे करते समय श्वास छोड़े     इस प्रकार जानुशिरासन को   2) अब इसी आसन को दूसरे पैर से दोहराए  दाये पैर को घुटनेमें से मोडकर एड़ी मलद्वार को लगाय और पंजा बाये पैर के जंघा को सटाकर रखे | बाये पैर का घुटना सीधा रखें | अब दोनों हाथोंको ऊपर उठाते हुए धीरे धीरे श्

नौकासन ( Naukasan)

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                                                                  नौकासन  नौकासन से पुरे शरीर का व्यायाम होता है | पेटकी चर्बी कम करने और पाचनतंत्र को सुधारनेके लिए नौकासन बहोत प्रभावशाली योगासन है |     नौकासन कैसे करे ? नौकासन  की विधि :- सर्वप्रथम YOGA MAT या आसन पे पीठ के बल लेट जाये दोनों पाँव मिला ले और श्वास को भरते हुए ऊप्पर उठाये दोनों हाथ और गर्दन पैर की ओर सीधे एक दिशामें आगे की और उठाए अब शरीर का आकर नौका जैसा बन जायेगा इस स्थिति में श्वास को 10 या 15 सैकंड  रोके और श्वास को छोड़ते हुए पैर और हाथ को धरती पर लाए। इसप्रकार इस आसन को 2 से 3 बार दोहराएं ।  नौकासन के लाभ / फायदे  1) पेट के चर्बी को कम करनेमें विशेष लाभदायक और पेट की मांसपेशी को मजबूत करता है । 2) गैस, कब्ज , को ठीक करनेमें लाभदायक । 3) मेरुदंड को लचीला बनाकर मेरुदंड को मजबूती देता है । 3) पाचनतंत्र को बेहतर बनानेमें सहायक ।  4) कंधो और हाथों की मांसपेशी को शक्ति देता है । 5) नाभि को संतुलित करने में लाभदायक है ।  6) फेफड़ो को कार्यशील बनाता है और पुरे शरीर में रक्त का संचार ठीक तरह से होता ह

मर्कटासन (Markatasan)

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                            मर्कटासन  मर्कटासन कमरदर्द के लिए बहोत ही प्रभावशाली आसन है | मर्कट को हिंदी में बंदर कहते है | जिस प्रकार बंदर की कमर लचीली होती है |  और कभी कमर दर्द नहीं होती | ठीक ऐसे ही जो इस आसन का अभ्यास करेंगे उनकी कमरदर्द कभी नहीं होगी | मर्कटासन से तुरंत कमरदर्द में आराम मिलता है |  मर्कटासन कैसे करे ? मर्कटासन की विधी  :- सर्वप्रथम आसन पर लेट जाये और दोनो पाँव धुटनेमे से मोडले और दोनों हाथ दोनो बाजु में कंधोके समान अंतर में फैलाये हाथीली ऊपर की ओर होना चाहिए | और गर्दन बाये side बाजु की कर मोड ले अब श्वास भरते हुये दोनों पाँव के घुटने दाहिनी side बाजु की और झुकाये ध्यान रहे की एड़ी पे एड़ी और घुटनो पे घुटने हो श्वास को 8 से 10 गिनने तक रोके और धीरे धीरे श्वास छोड़ते हुये दोनों पैर के घुटने ऊपर करले  अब दुरी side से दोनों पैर के घुटनो को बाये side की और झुकाते हुये श्वास भीतर भरे और दोनों हाथ दोनों side   मे कंधोके समान अंतर में फैलाये हुए गर्दन दाहिनी side की और मोडले श्वास को 8 से 10 गिनने तक रोके और धीरे धीरे श्वास छोड़ते हुए पाँव के घुटने सीधे ऊप

Ardhapavanmuktasana

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                                      Ardhapavanmuktasana  Ardhapavanmuktasana This asana frees the apanavayu. And this is done with one foot, so this asana is called Ardhapavanmuktasana. This asana relieves gas, constipation, back pain.   How to do Ardhpavamuktasana Mode of Ardhapavanmuktasana: - First lie down on the pedestal 1) Fold the right leg through the knee and lock both hands tightly under the knee, now while exhaling, put the right knee in the chest and nose up the knee with the neck up and stop breathing for a few seconds. While exhaling, straighten the right leg. 2) Fold the left leg from the knee and lock both hands tightly under the knee, now while exhaling, put the left knee on the chest and raise the neck up and kneel the knee and stop breathing for a few seconds. While exhaling, straighten the left leg.            Absolute homestead   First lie down on the pedestal 3) Take both feet from the knee and lock both hands together and hold both knees tightl

अर्धपवनमुक्तासन (Ardhapawanmuktasan)

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                                          अर्धपवनमुक्तासन   अर्धपवनमुक्तासन यह आसन अपानवायु को मुक्त करता है |और एक पाँव से किया जाता है ,इसलिए इस आसन को अर्धपवनमुक्तासन कहते है |इस आसन से गैस, कब्ज,कमर दर्द से राहत मिलती है |    अर्धपवनमुक्तासन कैसे करे ? अर्धपवनमुक्तासन की विधी  :- सर्वप्रथम आसन पे लेट जाये  अर्धपवनमुक्तासन   1) दाहिने पैर (Right Leg )को घुटने में से मोड़े और दोनो हाथ को आपस में लॉक करके घुटने के निचे कसकर पकडे ,अब लंबे श्वास छोड़ते हुए दाया घुटने को छातीसे लगाये और गर्दन ऊपर  करके घुटनेको नाक लगाये और श्वास कुछ सेकण्ड रोके और श्वास छोड़ते हुए  दाहिना पैर सीधा करे |  2) बाये पैर  (Left Leg ) को घुटने में से मोड़े और दोनो हाथ को आपस में लॉक करके घुटने के निचे कसकर पकडे ,अब लंबे श्वास छोड़ते हुए बाया घुटने को छातीसे लगाये और गर्दन ऊपर उठाकर घुटनेको नाक लगाये और श्वास कुछ सेकण्ड रोके और श्वास छोड़ते हुए  बाया पैर सीधा करे |                पूर्णपवनमुक्तस      सर्वप्रथम आसन पे लेट जाये  3) दोनों पैर घुटनोमे से मोड ले और दोनों हाथोंको आपसमें मिलकर लॉ

Uthanpadasan (उत्तानपादासन)

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                                        उत्तानपादासन       उत्तानपादासन का अर्थ है उप्पर उठा हुआ पाँव      उत्तानपादासन पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहोत अच्छा योगासन है  |      पाचनतंत्र को सुधारता है |कब्ज , पेट दर्द  में  लाभदायक  |  उत्तानपादासन कैसे करे  ? उत्तानपादासन की विधि   :- सर्वप्रथम आसन पर लेटजाए और पैर के दोनों  पँजे जोडले  और  दोनो  हाथ  जंघाओं के नीचे रखे  |  अब  श्वास भरते हुए दोनों  पैर 1 फ़ीट उप्पर उठाये और श्वास  को  यथाशक्ति रोके और श्वास  छोड़ते हुए पैर धरती पर  रखे | इसप्रकार उत्तानपादासन को 2 या ३ बार दोहराए  |  उत्तानपादासन के लाभ :- पेट की चर्बी को कम करता है | पेट की  मांसपेशी को  मजबूत  बनता है |   गॅस ,कब्ज , अपचन ,से छुटकारा दिलाता है | पाचनतंत्र का कार्य सुधरता है |  नाभि को संतुलित करता है |  रीढ़की की हड्डी को मजबूती  प्रदान  करता है |  उत्तानपादासन की सावधानियाँ  :- कमर दर्द में ये आसान नहीं करना चाहिए |  पेट की सर्जरी होने पर ये आसन नहीं करना चाहिए | 

धनुरासन (Dhanurasan)

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           https://healthasan.blogspot.com                          धनुरासन  धनुरासन में शरीर का आकर धनुष्य जैसा होता है  | इसलिए  इस  आसन को  धनुरासन कहते है | धनुरासन में  पेट पर ज्यादा  दबाव पडने से  पेट के  सबंधित  सभी समस्या  में लाभदायक है |  धनुरासन कैसे करे  ? धनुरासन करने  की  विधी    :- सर्वप्रथम  yoga mat या  कम्बल के आसन पर लेट जाए |   अब  दोनो  हाथोसे पैर के  दोनों टखनों को पकडे  और श्वास भरते हुए पैरोंको  शिर की और खींचे अब शरीर का आकर धनुष्य जैसा बनजायेगा श्वास को  10 से  12 सेकंड तक रोके और श्वास को धीरे धीरे  छोड़ते हुए दोनो पैर धरती पर रखे और हाथ को सर के नीचे  रखकर शरीर को आराम दे |  इस  प्रकार  धनुरासन की  2 या  3 बार पुनरावृति  करे |  धनुरासन के लाभ :- 1) कब्ज, पेट दर्द , पित्त को  कम करता है  और पाचनतंत्र से सबंधित सभी बीमारी को ठीक करता है |  2) यह  आसन कमरदर्द को ठीक करता है,और रीढ़ की हड्डी को लचीली बनता है |  3)  चेहरे के चमक को बडाटा  है |  4)   इस आसन  में फेफ़ड़ोंपर अतिरिक्त दबाव पड़ने से फेफडोंको को  शक्ति प्रदान करता है |  5)  कंधो

भुजंगासन (Bhujangasan)

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                  https://healthasan.blogspot.com                             भुजंगासन          भुजंग का अर्थ होता है साँप इस आसन को करते समय शरीर का आकर या स्थिति साँप के जैसी होती है | इसलिए इस आसन को सर्पासन या भुजंगासन कहते है | भुजंगासन करते समय शरीर के सभी अंगोपर प्रभाव पडता है | इस कारण से भुजंगासन से सम्पूर्ण शरीर को लाभ मिलता है |  भुजंगासन कैसे करे ? भुजंगासन की विधी  :- सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाये अब पैर के पंजोको जोड़े और दोनो हाँथ कंधोके निचे रखे |  अब श्वास भरते हुए  छाती और गर्दन को धीरे धीरे उप्पर उठाए और आकाश की और देखे | ध्यान रहे की नाभिवाला हिस्सा धरती से लगाहो अब श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे छाती और गर्दन निचे करले | इस प्रकार भुजंगासन की 2 या 3 बार पुनरावृत्ति करे |  भुजंगासन के लाभ :- 1 ) कब्ज को दूरकरके पाचनतंत्र को ठीक करता है | 2 )यह आसन नियमितरूप से करने से पेट की अनावश्यक चर्बी कम हो जाती है |  3) भुजंगासन फेफडोंको शक्ति प्रदान करता है और फेफडोंकी कार्यक्षमता बढ़ाता  है |  4) कमरदर्द में लाभदायक है | कंधोंकी जखडन को दूर कर कंधोंकी मास

वृक्षासन ( Vrikshasan)

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                                            वृक्षासन    वृक्षआसन में शरीर का आकर वृक्ष जैसा बनता है| इसलिए इस आसन को वृक्षआसन  कहते है |  वृक्षासन कैसे  करे ? वृक्षासन की विधि :-  सर्वप्रथम ताड़ासन में खड़े होजाये और दाहिना (right  Leg ) पैर घुटने में से मोड़कर ऊपर उठाये और बाए  (Left Leg )  पैर के जांघ पर दबाकर रखें  एड़ी उप्पर मलद्वार के पास लगाए और बाए पैर पर संतुलन बनाए  इस स्थिमें श्वास भरकर दोनों हात ऊपर की करे और हथेली जोडले 8 से 10 सेकंड रुके और श्वास छोड़ते हुए हातोंको निचे करले और पैर धरती पर रखें |  अब ठीक इसी प्रकार बाए पैर (Left Leg ) को  घुटने में से मोड़कर ऊपर उठाये और दाए  पैर (Right  Leg ) के जांघ पर दबाकर रखें  एड़ी उप्पर मलद्वार के पास लगाए और दाहिने पैर पर संतुलन बनाए और  इस स्थिमें श्वास भरकर दोनों हात ऊपर लेजाये और हथेली जोडले 8 से 10 सेकंड रुके और श्वास छोड़ते हुए हातोंको निचे करले और पैर धरती पर रखें | वृक्षासन करते समय आगे की और देखे |  वृक्षासन के लाभ/ फायदे  :- वृक्षासन एकाग्रता को बढ़ता है और मन के विचारोपर नियन्रण करने में लाभदायक | टखनों का और घू

अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom - Vilom pranayam)

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                              अनुलोम विलोम प्राणायाम  अनुलोम विलोम प्राणायाम का अर्थ है सीधा और उल्टा  एक नाशिका छिद्र से श्वास भरना और दूसरे नाशिका छिद्र से छोड़ना होता है इसलिए  इस इस आसन को अनुलोम विलोम कहते है |  अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करे  :- अनुलोम विलोम प्राणायाम  की विधि :-  सर्वप्रथम  खुली हवा में  सुखासन या पद्यमासन में बैठ जाये और आप का मेरुदंड ( रीढ़की हड्डी  सीधी हो अब प्राणायाम कैसे करना है  आपको  1 -2 -1  -1   सूत्र का पता होना जरुरी है  जैसे  आप को श्वास   भितर भरते समय  4  सेकेंड लगते है तो आपको २ गुना श्वास को रोकना है 8 सेंकंड और जब श्वास बाहर छोड़ते है तो 4 सेकेंड मैं छोड़ना है  4 सेकेंड रोकना है  ध्यान रहे की  केवल आप को श्वास २ गुना रोकना है | अब जो  स्वर खुला हो या जिस  स्वर से श्वास चलरहा हो उस स्वर से श्वास को 4 गिनने तक धीरे धीरे भीतर भरे और दूसरा स्वर अगुठे से बंद करले  8 काउंट करने तक  श्वास  भितर भर के रोके और दूसरे स्वर से या नाशिका छिद्र से  श्वास 4 गिनने तक छोड़े और 4 (काउंट) या गिनने  तक श्वास को  रोके इस क्रिया को 1 -2 -1-1 का सूत्

वीरभद्रासन (Virbhadrasan)

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                                                              वीरभद्रासन                             वीरभद्र एक वीर योद्धा भगवान शिव के गण थे। ऊनके नाम से ही इस आसन का नाम रखा है। वीरभद्रासन। इस आसन को करने से शरीर के सभी भागोंमें  में खिचाव होने से शरीर के सभी जोड़ो और मास पेशी को मजबूत बनाता है। वीरभद्रासन कैसे करे ? वीरभद्रासन  वीरभद्रासन करने की विधि  :- सर्वप्रथम ताड़ासन की अवस्थामे खड़े होजाए और दाहिना पैर में  3.5 या 4 फीट का फासला ले और पैर घुटनेमें से मोड कर 90 अंश का कोण बनाए ले और बाया पैर सीधा रखे और दोने हाथोंको श्वास भरते हुए उप्पर की ओर ऊठाकर दोनो हथेली जोड़ले 8 से 10  गिनने तक रुके और श्वास छोड़ते हुए हाथ निचे करले और पैर भी सीधा करले। अब ठीक इसी प्रकार दूसरा पैर बाया पैर में  3.5 या 4 फीट का फासला ले  और पैर घुटनेमें से मोड कर  90 अंश का कोन बनाए  और दाया ( Right leg   ) पैर का घुटना सीधा रखें और श्वास भरते हुए दोनों हथेली उप्पर जोड़ले 8  से 10 गिनने तक रुके और श्वास छोड़ते हुए हाथ निचे करले और पैर भी सीधा करले। वीरभद्रासन के लाभ :- 

कपालभाती एक योगिक क्रिया (Kapalbhati ek yogik Kriya)

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                      कपालभाती  एक योगिक क्रिया  कपाल का  अर्थ  है'खोपड़ी,अथवा माथा  और भाती अर्थ है प्रकाश या तेज़   इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मुख पर आंतरिक प्रभा(चमक) आ जाती है ।  कपालभाती   योगिक क्रिया  कपालभाति प्राणायाम एक योगीक क्रिया है यह क्रिया इस धरापर एक अमोघ औषधी है। सब रोगोका नाश करने के लिए। कपालभाति प्राणायाम से असाध्य रोग ठीक हो जाते है।कपालभाति एक रेचक करने की यौगिक क्रिया है|रेचक यानि श्वास को बाहर छोड़ना और पूरक यानि  श्वास को भीतर भरना और कुंभक यानि श्वास को रोकना| इस प्राणायाम को को केवल श्वास को झटकेसे बाहर फेकना होता है|  कपालभाती कैसे करे? कपालभाती की विधि  :- सर्वप्रथम कम्बल या दरी बिछाकर पद्मासन या स्वस्तिकासन,सुखासन मैं बैठे|  रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठे| अब श्वास १ सेकंड में एक बार झटकेसे बाहर फेंके|  श्वास लेने की जरुरत नहीं है| केवल आपको श्वास को बाहर फेंकना है| श्वास अपने आप भीतर आता है|इस क्रियाको करते रहे श्वास को झटके से बाहर छोडे|कपालभाती के बीचमें और अंत मैं त्रिबंध लगाए| मानलो आपको कपालभाती ४ मिनट करनी है

नाडीशोधन प्राणायाम (Nadishodhan Pranayam)

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                                                                          नाड़ीशोधन प्राणायाम   मानव शरीरमे नाड़ी  की संख्या   हठयोग प्रदीपिका नाड़ियों का  संख्या   ७२000  है। इन में से ३ नाडिया  मुख्य है  इड़ा , पिगला , और सुषुम्ना ये मुख्य नाड़ियों द्वारा संपूर्ण शरीर में  प्राण का संचार होता है। हमारे ऋषि कहते है और इतनी सारी नाड़िओ  शोधन  केवल नाड़ीशोधन प्राणायाम से ही संभव है इसलिए ऋषियोने हमें नाड़ी शोधनरूपी प्राणायाम की  साह्यता से शरीर की सम्पूर्ण नाडियोका शोधन यानि शुद्ध हो जाती है ।रक्तमे  ऑक्सिजन  की मात्रा को बढ़ाता है। नाड़ीशोधन प्राणायाम कैसे करे नाड़ीशोधन प्राणायाम की विधि : ↓ 1 ) सर्वप्रथम खुली हवामे आसन  बिछाकर पदमासन या जैसे आप सीधे ज्यादा समय तक बैठ पाए ऐसे आसन मैं बैठे अब नाशिका छिद्र को चेक करे कोनसे नाशिका छिद्र से श्वास चलरहा है दाए या बाए जिस नाशिका छिद्र से  श्वास चलरहा है उससे 4 गिनने तक  धीरे धीरे श्वास भीतर भरे और जो नाशिका बंद है। उसे अगुठे से बंद करले और 8 गिनने तक  रोके और उसी  नाशिका  छिद्र से  4 गिनने तक श्वास  धीरे धीरे बाहर छोड़कर भी 4 गिनने